रेलवे का अजीबोगरीब आदेश, कार्य पूर्ण होने के बाद निरस्त कर दिया टेंडर, फंसी जमानत राशि, संचालक परेशान

दीनदयालनगर. भारतीय रेलवे के पूर्व मध्य रेल के अंतर्गत आने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के यांत्रिक विभाग के अधिकारियों द्वारा एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया गया है। जिसमें ट्रेनों में साफ सफाई कराने वाली फर्म का का टेंडर काम पूरा होने और काम का भुगतान होने के कई महीनों बाद निरस्त कर दिया गया है और फर्म की जमानत धनराशि जब्त करने का भी फरमान सुना दिया गया है।         

दरअसल ट्रेनों में साफ सफाई का काम कराने वाले बिहार के खगौल के एक फर्म संचालक ने दीनदयाल मंडल के यांत्रिक विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि खगोल की इस फर्म खगौल लेबर को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को 2 साल पहले 12 मार्च 2019 को ट्रेनों में साफ-सफाई का ठेका मिला था। दावा है कि फर्म ने मानक के अनुसार काम कराते हुए अपने ठेके की अवधि पूरी कर ली.इसके बाद फर्म को उसके काम का भुगतान भी रेलवे द्वारा 4 अप्रैल 2021 को कर दिया गया।इसके बाद जब फर्म के संचालक ने अपनी जमानत धनराशि की मांग की।तो यांत्रिक विभाग के अधिकारियों द्वारा टालमटोल किया जाने लगा।इसके बाद इस संदर्भ में फर्म के संचालक ने कई बार संबंधित अधिकारियों को पत्राचार भी किया।लेकिन उसकी जमानत धनराशि( परफारमेंस गारंटी मनी) वापस नहीं की गई। बल्कि उल्टे उसकी फर्म के टेंडर को ही निरस्त कर दिया गया। जबकि संबंधित टेंडर का काम भी पूरा हो गया था और भुगतान भी किया जा चुका था। दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के यांत्रिक विभाग द्वारा इस फर्म का टेंडर निरस्त किए जाने और जमानत धनराशि जब किए जाने के आदेश के बाद फर्म का संचालक काफी परेशान है.
सवाल यह उठता है कि अगर फर्म द्वारा मानक के अनुरूप काम नहीं कराया गया था। तो काम के एवज में भुगतान ही क्यों किया गया ? आखिरी भुगतान करते समय इस फर्म के भुगतान पर रोक क्यों नहीं लगाई गई ?
इस संदर्भ में जब हमने दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के डीआरएम से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका फोन नहीं उठा.