कोरोना ने फीका किया कालीनों का रंग


पूरी तरह ठप है कालीन उद्योग

भदोही। कोरोना की महामारी का असर जहां हर उद्योग-धंधों पर पड़ा है वहीं इसके कारण निर्यात किये जाने वाला हस्तनिर्मित कालीन उद्योग पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। जो देश भारत से कालीनों का निर्यात करते थे वो खुद कोरोना के आगे पस्त हैं। अचानक ठप पड़े कारोबार के कारण सैकड़ो करोड़ की कालीन गोदामों डंप पड़े हैं। कालीन नगरी भदोही में कालीन बुनकर बेरोजगार हो गए हैं और निर्यातक भारत के साथ यूरोपियन देशों के साथ पूरे विश्व से कोरोना के खात्मे इंतजार कर रहे हैं।

पूरे देश से कालीनों का निर्यात 12 हजार करोड़ से अधिक है। दावा किया जाता गई कि इस आंकड़े में साठ फीसदी हिस्सा अकेले भदोही का है। यहां की कालीन बड़े पैमाने पर अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, चाइना सहित सौ से अधिक देशों देशों में निर्यात होता है। लेकिन विश्व के लगभग सभी वो देश जो कालीन का आयात करते थे वो कोरोना की महामारी से बड़े पैमाने पर प्रभावित हैं। अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के पूर्व सचिव पियूष बरनवाल बताते हैं कि कालीन कम्पनियां मिले ऑर्डर को पूरा करने में लगे हुए थे और बड़े पैमाने पर कालीन बनकर तैयार थी लेकिन अचानक कोरोना के कारण पूरा विश्व रुक गया। इस समय पूरे विश्व मे जगह जगह घोषित-अघोषित लाकडाउन है। हम न कालीन बनाने और उसे निर्यात करने की स्थिति में हैं और न ही कोई देश उसे आयात करने की स्थिति में हैं। उद्योग को सिर्फ कोरोना से जुड़े अच्छी खबर का इंतजार है लेकिन उसमें कितना समय लगेगा यह किसी को पता नही है। वहीं इसे लेकर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह का कहना है कि मौजूदा स्थितियों के कारण इंडस्ट्री का दो हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हो सकता है। निर्यताको का माल डंप है। आयातक बकाया पैसा दे नही रहे क्योंकि वो खुद कोरोना से परेसान हैं। कारपेट से जुड़े तमाम फेयर रद्द हो चुके हैं। मौजूदा स्थिति का असर कालीन उद्योग पर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।

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