प्रवासी- साहब लॉक डाउन के बहुत दिन हो गए अब गांव बुलवा लीजिए
लॉकडाउन के बाद परदेस में फॅसे प्रवासी अपने घर लौटना चाहते उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानियो को साझा किया घर से दूर कमाने के लिए परदेस गए ये लोग अब मुश्किल में है
प्रदेश सरकार से यह जल्दी वापस बुलाने की मांग कर रहे है
लाकडाउन में प्रवासी कामगारों को वायस लाने के तैयारी में जुटी योगी सरकार से लोगों ने काफी उम्मीदें लगा रखी हैं। गैर प्रान्तों में फंसे भदोही के लोगों को जब जानकारी मिली कि सरकार उन्हें वापस लाने की तैयारी में तो वो लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से जल्द से जल्द वापस लाये जाने की गुहार लगा रहे हैं। जब भदोही के लिए फेसबुक चल रहे पेज हमार भदोही @hamarbhadohi के जब इन भदोही सरकार की कोशिश के बारे में बताया जा रहा था तब इनका दर्द छलक गया इनके घर आने की जरा आहत ने ही इन्हें सुकून से भर दिया
गैर प्रान्तों में फंसे लोगों से बात करने पर पता लगा कि वो घर वापसी के लिए कितने बेचैन हैं। पुणे के महाराष्ट्र में ट्रांसपोर्ट कम्पनी में नौकरी कर रहे युवक सतीश सिंह ने बताया कि वो भदोही के जंगीगंज के रहने वाले हैं। लाकडाउन में खाद्य सामग्री की काफी दिक्कतें हो रहीं हैं। साथ ही कम्पनी ने भी सैलरी को लेकर बोल दिया है कि इस महीने सैलरी समय पर मिलने की संभावना कम है। ऐसे में पास में पैसों की भी कमी है। ग्रामीण इलाकों की तरफ जाने पर ही खाद्य सामग्री मिल रही है। उनके साथ सात-आठ लोग यहां रह रहे हैं जो इलाहाबाद, जौनपुर, वाराणसी के रहने वाले हैं। ज्ञानपुर के चकवा निवासी संजय मौर्य ने बताया कि वो परिवार के साथ मुम्बई के नालासोपारा में फंसे हैं। उन्हें अब वहां बहुत डर लग रहा है वो चाहते हैं कि सरकार जल्द जल्द उन्हें यहां से वापस ले जाये। इसी तरह दर्जनों लोगों ने बताया कि प्रदेश में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अगर सरकार उन्हें जल्द वापस लाती है तो उन्हें काफी राहत मिलेगी।
वहीं गुजरात के पालमपुर जिले के बनातकाटा में लॉक डाउन के एक दिन पहले अपनी बहन को लेने गए अगले दिन उनके आने का टिकट था लेकिन बीते एक माह वही हैं। वे एमसीए की पढ़ाई कर रहे हैं और खमरिया के रहने वाले है ।
मुम्बई में रह रहे संतोष मिश्रा सहित साथ लोग मुम्बई में हैं। सभी का काम बंद है। वे घर आना चाहते हैं। बस अब उन्हें सरकार के सहयोग का इंतजार है। मुम्बई में रहे भदोही के एक युवक ने बताया कि वे अकेले रहते है। वहां वे एक होटल में रोज खाना खाते थे। लेकिन लॉक डाउन शुरू होते ही पुलिस ने होटल बंद करा दिया। दो दिनों बाद उसे होम डिलीवरी की इजाजत मिलने के बाद भोजन की समस्या समाप्त हो गई ।
अपनी जीविका चलाने परदेश गए लोगो अब उनका घर गांव ज्यादा अच्छा लग वे शहरों वे सामानों को दुगुने दामो पर खरीद रहे है वही इनकम घटने से उन पर दोहरी मार पर पड़ रही है ।