भदोही में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, पूर्वांचल में कांग्रेस को खाता खुलने की उम्मीद

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में भदोही का नंबर 78वां है। इसके अंतर्गत एक विधानसभा सुरक्षित है और बाकी चार विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी के हैं। दो विधानसभा क्षेत्र प्रयागराज जिले के हैं और तीन विधानसभा क्षेत्र भदोही जिले के हैं। प्रयागराज जिले की प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा क्षेत्र हैं। भदोही जिले के विधानसभा क्षेत्र भदोही, ज्ञानपुर और औराई हैं। औराई अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित क्षेत्र है। 

भदोही जिले का मुख्यालय ज्ञानपुर में है। भदोही कालीन निर्माण के लिए मशहूर है। यहां के कालीनों ने भदोही को वैश्विक पहचान दिलाई है। यह जिला बुनकरों का घर कहा जाता है। दिल्ली से भदोही की दूरी लगभग 782 किमी है। 

वर्तमान समय में वीरेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी से सांसद हैं। उन्होंने 2014 में बसपा के राकेश धर त्रिपाठी को हराकर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर थी और कांग्रेस प्रत्याशी तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। 2009 में यह सीट बसपा के पास थी। उस समय बसपा के गोरखनाथ सांसद थे।

2014 में भाजपा प्रत्याशी को कुल 4,03,695 मत मिले थे। बसपा को 2,45,554 मत मिले थे। समाजवादी पार्टी को 2,38,712 मत मिले थे। 2014 के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर कुल 18,34,598 मतदाता हैं। जिसमें 10,16,000 पुरुष और 8,18,442 महिला मतदाता हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदलकर रमेश बिंद को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने आजमगढ़ के बाहुबली रमाकांत यादव को प्रत्याशी बनाया है। प्रयागराज जिले की दो विधानसभा सीटें हैं और दोनों ही सीटें बसपा के पास हैं। हंडिया से हाकिम लाल बिंद और प्रतापपुर से मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी विधायक हैं। 2008 में नए परिसीमन के बाद प्रयागराज की दोनों सीटों को भदोही में शामिल किया गया। 

सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में है और बसपा ने अबकी बार रंगनाथ मिश्रा पर भरोसा जताया है। पिछली बार के सपा और बसपा के वोट को अगर मिला दिया जाए, तो यह आंकड़ा वीरेंद्र सिंह को मिले वोट से काफी अधिक हो जाता है। लेकिन भाजपा ने यहां से रमेश बिंद को मैदान में उतारकर एक बार फिर से भगवा परचम लहराने की जुगत में है। बेरोजगारी यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। लेकिन चुनावों में वोटिंग जाति के आधार पर होती रही है। 

यह सीट इस बार चर्चा में इसलिए आ गई है क्योंकि यहां से रमाकांत यादव चुनाव लड़ रहे हैं। जो पिछली बार भाजपा के टिकट से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ लड़े थे, लेकिन उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन कांग्रेस ने भदोही से रमाकांत को उतारकर पूर्वांचल में अपना खाता खोलना चाहती है। रमाकांत यादव धनबली और बाहुबली दोनों हैं। ऐसे में पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस अपने मंसूबे में कितना सफल हो पाएगी। यह तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा। 

भदोही में चुनाव 6ठें चरण में है। यहां पर 12 मई को मतदान होगा। नतीजे 23 मई को आएंगे। सही जानकारी तभी मिल पाएगी कि यहां पर जातीय समीकरण हावी रहा या फिर से इस चुनाव में मोदी लहर बरकरार रही। 

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