नयी दिल्ली – अगर देखा जाय तो पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बात को बखूबी समझ लिया था कि सोशल मीडिया और मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है जिसमे पैठ बना कर चुनाव फतह किया जा सकता है और पार्टी के सभी नेताओं के साथ कार्यकर्ता और समर्थकों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रह कर पार्टी हित में बात उठाने के साथ विपक्ष को घेरने की रणनीति बनाई गई और भाजपा को उसका बड़ा फायदा भी मिला। सोशल मीडिया से लाभ को देखते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के विधानसभा चुनाव में यहां तक एलान कर दिया था कि जिसे टिकट चाहिए उसके सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में फॉलोवर्स होने चाहिये। इसके बाद टिकट की मांग करने वाले नेता अपने सोशल मीडिया के खातों पर अधिक ध्यान देने लगे थे जिससे भाजपा को लाभ हुआ बीजेपी सोशल मीडिया के माध्यम से इन्ही वोटरों पर खास तौर केंद्रित है। माना जा रहा है कि इन वोटरों को सोशल मीडिया से अपनी तरफ मोड़ा जा सकता है। क्योंकि बदलते समय के साथ इनकी आवश्यकता बदल रही है। सोच बदल रही है। ये वोटर की दुनिया फेस बुक ट्वीटर सोशल मीडिया है इनके हाथों में 24 घंटे एंड्राइड फोन है। यही कारण है सभी दल इन पर फोकस है ये किसी भी दल का समीकरण बना और बिगाड़ सकते है , ये वोटर अपनी सोच सोशल मीडिया को देखकर बना रहे यही कारण लगातार मीडिया से दूर रहने वाली बसपा भी मायावती को ट्वीटर इस्तेमाल करना पड़ रहा है वही चुनावो की कमान अब हर प्रत्यासी की सोसल मीडिया यूनिट संभाल रही जो लगातार सोशल प्लेटफॉर्म पर अपनी गतिविधियां अपडेट कर रहे है ।