Lअचार, मुरब्बा, पापड़, और मसाला पीसने जैसे स्थापित करें कुटीर उद्योग
कोरोना काल आपदा को अवसर में बदलवाने का समय
भदोही, 07 जून। कोरोना संक्रमण की वजह से शहरों से गाँवों की तरफ़ काफी संख्या में पलायन हुआ है। ऐसे में युवाओं में बेगारी दर बढ़ सकती है। लेकिन हम आपदा में भी अवसर निकाल सकते हैं।
अपने गांव-कस्बे में कृषि आधारित उद्यम शुरू कर अपनी आजीविका चला सकते हैं। अचार, मुरब्बा, पापड़, मसाला पीसना, गुड़ की पट्टी जैसे सैकड़ों उद्यम हैं जिन्हें थोड़ी पूंजी से हम शुरू कर सकते हैं।
निर्यात संवर्द्धन और विश्व व्यापार संगठन प्रभाग
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, उद्योग भवन, नई दिल्ली में कार्यरत रमेश कुमार दुबे के अनुसार केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार के प्रयासों से अब सभी गांवों तक पक्की सड़क, बिजली, मोबाइल-इंटरनेट की सर्विस पहुंच गईं हैं। इस लिहाजा से अब विकास की पहुँच सुगम हो चुकी है। सरकार कुटीर उद्योग की स्थापना के लिए बैंकों से कर्ज भी दे रहीं है।अचार, मुरब्बा, पापड़, मसाला पीसना, गुड़ की पट्टी जैसे सैकड़ों उद्यम हैं जो थोड़ी पूंजी से शुरू किये जा सकते है।
उन्होने बताया कि इसकी पूरी जानकारी कोई भी युवा
जिला उद्योग केंद्र के साथ सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय की बेवसाइट से संपर्क कर सकता है। हर उद्यम के लिए सब्सिडी का प्रावधान है। टॉल फ्री नंबर भी है। खुद सप्लाई न कर सकें तो बड़ी कंपनियों की फ्रेंचाइजी ले सकते हैं। उदाहरण के लिए पातंजलि को निबौड़ी की जरूरत है। आप लोग पातंजलि से संपर्क कर निबौड़ी यानी नीम के तेल की आपूर्ति कर सकते हैं।
दुबे ने बताया कि बनारस से निर्यात की अच्छी सुविधा है। ऐसे में जैविक उत्पाद कि विदेशी मांग को इंटरनेट पर देखकर उसके अनुरूप उद्यम शुरू किए जा सकते हैं। इसमें पैकिंग का विशेष महत्व होता है लेकिन वह सुविधाएं अब थोड़े प्रयासों से उपलब्ध हो जाएंगी। याद रखिए पूरी दुनिया रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से परेशान है।यही कारण है जैविक उत्पादों की मुंह मांगी कीमत मिलती है। जो लोग बाहर से गांव लौटे हैं उन्हें उद्यम लगाने के लिए आगे आना चाहिए। मामूली प्रयास से हम हम गाँव से शहरों की तरफ़ बढ़ता पलायन रोक सकते हैं।